मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली
ईद-मिलाद उन-नबी पर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए यूपी में व्यापक इंतजाम किए गए हैं. इसके अलावा ईद मिलाद के जुलूस में डीजे बजाने पर पाबंदी भी लगा दी गई. इसका उल्लंघन करने पर मुकदमा दर्ज किया जा सकता है. उधर, अजमेर में ईद मिलाद पर शहर में सफाई जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है.
इस बीच उत्तर प्रदेश पुलिस की चेतावनियों के मद्देनजर बरेली में दरगाह आला हजरत ने अंजुमन कमेटियों से ईद ए मिलाद के मौके पर जुलूस में डीजे का इस्तेमाल नहीं करने की अपील की है.ईद ए मिलाद के जुलूस में डीजे बजाने पर बैन के आदेश और आला हजरत की अपील के बाद जिम्मेदार लोगों ने जुलूस में डीजे नहीं बजाने का फैसला लिया है.
दरगाह आला हजरत और पुलिस प्रशासन से बातचीत के बाद इस बात पर सहमति बनी कि अगर कोई अंजुमन डीजे सिस्टम का इस्तेमाल करता पाया जाता है तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी.दरगाह आला हजरत से जुड़े संगठन जमात रजा-ए-मुस्तफा के महासचिव फरमान हसन खान ने कहा, “इस मौके पर, लोग आमतौर पर अपनी गाड़ियों को सजाते हैं और डीजे सिस्टम के साथ जुलूस निकलते हैं.
अक्सर यह डीजे सिस्टम हरियाणा, दिल्ली और दूसरे इलाकों से मंगाए जाते हैं. इस बार हमने लोगों से अपील की है कि वह डीजे का इस्तेमाल बिल्कुल न करें. इसके बजाय रोशनी से जगमगाते ट्रेडिशनल जुलूस निकालें.
इसकी वजह यह बताई गई कि कई कमेटियों ने जुलूस के लिए पहले से ही डीजे बुक कर लिए हैं. इसके बाद यह निर्णय लिया गया. इस्लाम के आखरी पैगंबर मुहम्मद साहब के जन्म के दिन के अवसर पर ईद-मिलाद-उन-नबी 28 और 29 सितंबर को मनाई जाएगी.
फरहान हसन खान ने कहा कि प्रदेश सरकार से इस मौके पर बरेली में शराब पर बैन लगाने की भी गुजारिश की है.उन्होंने कहा, ईद मिलाद की जुलूस में डीजे सिस्टम का इस्तेमाल न करने की गुजारिश हमारी सामाजिक और सांस्कृतिक धार्मिक मूल्यों का पालन करने का एक महत्वपूर्ण कदम है. ऐसा करके, लोग इस खास मौके को और भी पवित्र बना सकते हैं. समाज में शांति और सद्भावना को भी प्रोत्साहन मिलेगा.
इस बीच जमीयत उलेमा फरीदाबाद के अध्यक्ष मौलाना जलालुद्दीन ने कहा कि इस बार उनके शहर में ईद मिलाद उन नबी के मौके पर जुलूस नहीं निकालने का निर्णय लिया गया है. यह फैसला विचार-विमर्श के बाद लिया गया.
इसके बावजूद परंपरागत रूप से शहर की जामा मस्जिद ऊँचा गांव में मिलाद उन नबी यानी पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्मदिन मनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि गणेश विसर्जन को देखते हुए शांति, सद्भाव बनाए रखने के लिए ईद मिलाद पर जुलूस नहीं निकालने का निर्णय लिया गया है .
उन्होंने लोगों से ईद मिलाद पर अपने घरों में इबादत करने, जुलूस निकालें तो रास्तों को अवरूद्ध नहीं करने और प्रशासनिक नियमों का पालन करने की अपील की है.इधर, अजमेर में मुस्लिम समुदाय की ओर से ईद मिलाद पर अंदरकोट क्षेत्र से लेकर सुभाष उद्यान तक जुलूस निकाल कर ‘क्लीन अजमेर ग्रीन अजमेर’ का संदेश देने का निर्णय लिया गया है.
इसमें मुस्लिम समुदाय की कई संस्थाएं शिरकत करेंगी. इनमें सूफी इंटरनेशनल संस्था भी शामिल है.सूफी इंटरनेशनल के अध्यक्ष हाजी सरवर सिद्दीकी ने बताया कि जश्ने ईद मिलाद का दिन मुस्लिम समुदाय के लिए विशेष है. इस दिन पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब का जन्मदिन है.
इस अवसर पर अंदरकोट क्षेत्र में ढाई दिन के झोपड़े से जश्ने ईद मिलाद उन नबी का जुलूस निकाला जाएगा. यह जुलूस त्रिपोलिया गेट होता हुआ दरगाह के निजाम गेट से होकर दरगाह बाजार, देहली गेट, गंज, फव्वारा सर्किल होते हुए सुभाष उद्यान पहुंचेगा.
चिश्ती ने बताया कि जुलूस में हमेशा की तरह इस बार डीजे नहीं बजेगा. साथ ही देहली गेट के समीप लोंगिया क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग ढोल नगाड़ों के साथ जुलूस में शामिल हुआ करते थे, उन्हें भी ढोल बजाने से मना किया गया है. उन्होंने कहा कि यह एक धार्मिक पर्व है. इस विशेष पर्व पर मुस्लिम समुदाय के लोग पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब का गुणगान करते हैं.
चिश्ती ने कहा कि अजमेर में निकलने वाला जश्ने ईद मिलाद के जुलूस में गंगा जमुनी तहजीब भी देखने को मिलेगी. पैगंबर मोहम्मद साहब केवल मुस्लिम समुदाय के लिए नहीं बल्कि पूरी इंसानियत के लिए हैं. पैगंबर मोहम्मद साहब से पहले औरतों को जिंदा दफनाने की प्रथा थी.
जंग के दौरान फसलों और पेड़ों को जला दिया जाता था. बच्चों और औरतों को कैद कर लिया जाता था. इसके साथ ही गुलामी प्रथा थी. हजरत पैगंबर मोहम्मद साहब ने उन सभी कुप्रथाओं को बंद करवा दिया. चिश्ती ने बताया कि जुलूस में हजारों की संख्या में लोग शामिल होंगे.